अम्लीय और क्षारीय खाद्य पदार्थ एवं हमारा स्वस्थ्य

अम्लीय और क्षारीय खाद्य पदार्थ एवं हमारा स्वस्थ्य

प्राकृतिक आहार लेने वालों को अम्ल या क्षार की समस्या नहीं रहती यह तो केवल पके या तले-भुने भोजन लेने वालों में होती है।

शरीर का प्राकृतिक स्वाभाव क्षारीय  है लेकिन हमारी बदली जीवन शैली , बढ़ता प्रदूषण, रसायनों का सेवन व भागदौड़ व मानसिक तनाव से शरीर में अम्लता की मात्रा बढ़ती जा रही है। अम्लतायुक्त भोजन शरीर के लिए घातक है तो वही दूसरी ओर क्षारीय भोजन हितकर है।
मानव शरीर में 80% क्षारीय और 20% अम्लीय तत्व होते है। अगर यह संतुलन बना रहे तो आप हमेशा स्वास्थ्य रहेगे, लेकिन सन्तुलन होने पर शरीर तमाम रोगों से ग्रस्ति हो जाएगा।

शरीर में क्षारीय और अम्लीय तत्वों की केमिस्ट्री का संतुलन बनाये रखने के लिए PH की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिनका खाद्य पदार्थो PH मान 7 से कम होता है वो अम्लीय और PH मान 7 से ज्यादा होता है तो  क्षारीय होते है। सामान्यत: मानव रक्त की PH 7.35 से  7.45 के बीच में होती है। क्षारीय भोजन रक्त के PH को सन्तुलित कर कैंसर जैसे तमाम गम्भीर रोगों से बचाव एव इलाज में सहायक होते है ।

बिगड़ी जीवन शैली और खानपान के कारण हमारा रक्त का PH 7 से कम रहता है । इसी से कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती है । शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो गई है । शरीर में दर्द इसी से रहता है । पित्त का बढ़ना, बुखार आना, चिढ़ना, हमारे शरीर के सभी अंग त्वचा सहित समय से पहले ही ख़त्म हो रहे  है या रोगग्रस्त हो रहे है।  जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज छोटी छोटी आयु में हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अत्यधिक वजन, किडनी फेलियर, स्ट्रोक, कैंसर इत्यादि भयंकर रोगों से ग्रसित हो रहे है।

अतः आप अपने भोजन में 80% क्षारीय और 20% अम्लीय खाद्य पदार्थ शामिल करें और जीवनपर्यंत स्वस्थ्य रहे। अर्थात आहार में क्षारीय भोजन  फल और सब्जिया 80% और अम्लीय भोजन अनाज और अधिक प्रोटीन व वसायुक्त खाद्यपदार्थ  20 % होना आदर्श माना जाता है। एवं पानी खूब पिए।

क्षारीय खाद्य पदार्थ

हरी पत्तेदार सब्जिया  पालक, अजवायन, सलाद पता ,जड़ वाली साग-भाजी जैसे गाजर, चकुंदर, शकरकंद एव अन्य सब्जिया जैसे बंद गोभी, ब्रोकोली, कद्दू, शिमला मिर्च, बीन्स, खीरा, प्याज, लहसुन, अदरक, मशरूम, सभी तरह के ताजे फल, फलियां, छाछ, नारियल, खजूर, मीठा खाने का सोडा, अंकुरित अनाज, भीगे हुए मेवे, अंजीर, संतरा,आदि क्षारीय आहार है।

आमतौर पर खट्टे स्वाद को लेकर आँवला ,नींबू व मौसम्बी को अम्लीय प्रकृति का माना जाता है लेकिन यह दोनों ही क्षारीय तासीर के आहार है और नींबू तो सबसे अधिक क्षारीय होता है।

नींबू
सबसे अधिक क्षारीय खाद्य पदार्थ नींबू है जिसकी थोड़ी सी मात्रा ही भोजन का जायका बढ़ा देती है। ये कीटाणुनाशक होता है और लीवर के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।

आंवला
आयुर्वेद में आंवले को कई गुणों के कारण जाना जाता है। पाचन को दुरुस्त करने के साथ ही यह खांसी में भी राहत देता है। खट्टा होने के बाबजूद भी आंवला क्षारीय प्रकृति का फल है, ये पेट के रसायनों के स्तर को संतुलित रखता है। आंतों को भी स्वस्थ रखता है।

आंवले का सेवन शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाता है। सफेद रक्त कोशिकाएं ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जिम्मेदार होती हैं।

कंद मूल
मूली, गाजर, चुकंदर और शलजम जैसी जमीन के नीचे उगने वाली पौष्टिक सब्जियों का सेवन करके शरीर के क्षारीय स्तर को सन्तुलित रखा जा सकता है।

गोभी, ब्रोकली
गोभी, ब्रोकली और बंद गोभी जैसी सब्जियां स्वादिष्ट और पौष्टिक होने के साथ ph मान को संतुलित रखने वाली भी होती है।

हरी पत्तेदार सब्जियां
हरी पत्तेदार सब्जियों में क्षारीय गुण ज्यादा पाए जाते हैं और पालक जैसी पत्तेदार सब्जियां पाचन को बेहतर बनाती हैं। साथ ही वजन कम करने में भी सहायक हो सकती है क्योंकि इसे खाने से पेट जल्दी भरने का अहसास होता है।

शिमला मिर्च
एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर शिमला मिर्च शरीर में पीएच मान को सन्तुलित करने के साथ हानिकारक तत्वों से भी शरीर का बचाव करती है।

मौसंबी, नींबू, पपीता ,अजमोद व शतावरी

क्षारीय खाद्य सामग्रियों में नींबू, पपीता. शतावरी,अजमोद
इन चारों को साथ में खाने की बात आपको कुछ अजीब सी लग सकती है। जब ये साथ होते हैं तो जोरदार काम करते हैं। ये आपके गुर्दों की अच्छी तरह देखभाल करते हैं, उनको शुद्ध करते हैं और सूजन को कम करते हैं।

इस समूह में पपीता एक सबसे अच्छा लैक्जेटिव माना जाता है। यह आपके पेट को साफ करता है।
दूसरी ओर अजमोद आपके गुर्दों का पसंदीदा पौधा है।
इसके अलावा नींबू और मौसंबी कुदरत के दिए हुए दो सबसे ज्यादा क्षारीय फल हैं। इसलिए जबरदस्त क्षारीय असर वाली इन  चीजों को अपने भोजन में शामिल करें।

रिवर्स ओसमोसिस फ़िल्टर सिस्टम RO से प्राप्त जल अम्लीय होता है, और बोतलबंद पानी से भी परहेज करना चाहिए, नल के पानी को उबालकर ठंडा कर लें और इसको घड़े में डालकर पीना चाहिए। घड़े का पानी एल्कलाइन का बेहतर स्त्रोत है।

पकाने पर क्षारीय खनिज नष्ट हो जाते है इसलिए बिना पकाए अथवा भाप द्वारा कम पकाई सब्जिया में क्षारीयता अधिक होती है।

अम्लीय खाद्य पदार्थ

माँसाहारी भोजन, पका या तला-भूना भोजन, पनीर, मक्खन, चासनी की चीजें, मिठाई, चीनी, चाय, कॉफ़ी, चॉकलेट, तंबाकू, उबला दूध, वनस्पति घी, नमक, मैदा, मादक पदार्थ, सोडा, दाल, चावल, नमकीन, बेकरी की चीजें, चासनी में डूबे फल,डिब्बाबंद खाध पदार्थ , कोर्न्फ्लाकेस.ओट्स, साबुत अनाज के उत्पाद, रिफाइंड तेल ,पास्ता, ब्रेड, कोक और डेयरी उत्पाद,पिस्ता, काजू, सिंथेटिक मिठासयुक्त उत्पाद , दवाईयों का अधिक प्रयोग जैसे एस्प्रिन और एंटीबायोटिक इत्यादि अम्लीय आहार की श्रेणी में आते है।

अम्लीय खाद्य पदार्थों का ज़्यादा सेवन से शरीर में कमजोरी, जल्द बुढ़ापा, मोटापा, कब्ज, गैस, फैफड़ों में सर्दी, प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर, गठिया, जोड़ों का दर्द, सूजन, हार्ट समस्या, हड्डियों में कमजोरी जैसे कई घातक रोग की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है।

पेट में जलन,आंखों का लाल होना,अधिक गर्मी का लगना,त्वचा का रूखापन आदि अम्लता के लक्षण हैं। अतः,अम्लता प्रकट होते ही मिर्च, मसाले, शक्कर, चाय, मांस, मदिरा और अन्य मादक पदार्थों का सेवन अविलंब बंद कर देना चाहिए।

इसलिए अपने भोजन को 80% सात्विक कर दीजिए, फिर देखिए आपका शरीर हमेशा स्वस्थ्य रहेगा।

क्षारीय खाद्य पदार्थों के लाभ

क्षारीय भोजन हड्डियों के विकास के लिए ज़रूरी होता है। एवं एंटी एजिंग में भी लाभदायी है।

आर्थराइटिस और जोड़ों सम्बंधित सभी समस्याओं में क्षारीय भोजन बहुत उपयोगी है एवं  हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और स्ट्रोक से भी बचाता है।

क्षारीय भोजन  रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है एवं कैंसर , किडनी के रोगों से लड़ने में लाभदायक है।  किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन को पनपने से रोकती है।

क्षारीय भोजन हमारे वजन को संतुलित रखने में बहुत सहायक है एवं ये  विटामिन का अवशोषण आसानी से करता है एवं पोटैशियम की कमी को दूर करती है।

जैतून का तेल भी अम्लता के निदान में सहायक है। भोजन के एक घंटे पूर्व 10 मिली जैतून तेल का सेवन करने से आंतों को स्निग्धता प्राप्त होती है और पेट की अच्छी सफाई हो जाती है। जैतून का तेल हल्का, सुपाच्य, स्निग्धकारी व शरीर को शक्ति प्रदान करने वाला होता है।

अम्लता के रोगी के लिए नारियल और नारियल का पानी श्रेष्ठ आहार है। नारियल में 50 प्रतिशत तक वसा होता है जो आंतों को स्निग्धता प्रदान करता है।

अम्लता के रोगी को चावल का सेवन पर्याप्त सब्जियों के साथ करना चाहिए और एकबार में ही खाने की बजाए थोड़ा-थोड़ा कर खाना चाहिए। प्रातःकाल गुनगुने जल का सेवन करने से भी अम्लता कम होती है। ठंडे पानी का सेवन करने से अम्ल का स्त्राव अधिक होता है।

क्षारीय भोजन पूरे पाचन तंत्र को सही कर हमें स्वाथ्य बनाने में ये बेहद सहायक है।
प्राकृतिक आहार लेने वालों को अम्ल या क्षार की समस्या नहीं रहती यह तो केवल पके या तले-भुने भोजन लेने वालों में होती है।

शरीर का प्राकृतिक स्वाभाव क्षारीय  है लेकिन हमारी बदली जीवन शैली , बढ़ता प्रदूषण, रसायनों का सेवन व भागदौड़ व मानसिक तनाव से शरीर में अम्लता की मात्रा बढ़ती जा रही है। अम्लतायुक्त भोजन शरीर के लिए घातक है तो वही दूसरी ओर क्षारीय भोजन हितकर है।
मानव शरीर में 80% क्षारीय और 20% अम्लीय तत्व होते है। अगर यह संतुलन बना रहे तो आप हमेशा स्वास्थ्य रहेगे, लेकिन सन्तुलन होने पर शरीर तमाम रोगों से ग्रस्ति हो जाएगा।

शरीर में क्षारीय और अम्लीय तत्वों की केमिस्ट्री का संतुलन बनाये रखने के लिए PH की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिनका खाद्य पदार्थो PH मान 7 से कम होता है वो अम्लीय और PH मान 7 से ज्यादा होता है तो  क्षारीय होते है। सामान्यत: मानव रक्त की PH 7.35 से  7.45 के बीच में होती है। क्षारीय भोजन रक्त के PH को सन्तुलित कर कैंसर जैसे तमाम गम्भीर रोगों से बचाव एव इलाज में सहायक होते है ।

बिगड़ी जीवन शैली और खानपान के कारण हमारा रक्त का PH 7 से कम रहता है । इसी से कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती है । शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो गई है । शरीर में दर्द इसी से रहता है । पित्त का बढ़ना, बुखार आना, चिढ़ना, हमारे शरीर के सभी अंग त्वचा सहित समय से पहले ही ख़त्म हो रहे  है या रोगग्रस्त हो रहे है।  जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज छोटी छोटी आयु में हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अत्यधिक वजन, किडनी फेलियर, स्ट्रोक, कैंसर इत्यादि भयंकर रोगों से ग्रसित हो रहे है।

अतः आप अपने भोजन में 80% क्षारीय और 20% अम्लीय खाद्य पदार्थ शामिल करें और जीवनपर्यंत स्वस्थ्य रहे। अर्थात आहार में क्षारीय भोजन  फल और सब्जिया 80% और अम्लीय भोजन अनाज और अधिक प्रोटीन व वसायुक्त खाद्यपदार्थ  20 % होना आदर्श माना जाता है। एवं पानी खूब पिए।

क्षारीय खाद्य पदार्थ

हरी पत्तेदार सब्जिया  पालक, अजवायन, सलाद पता ,जड़ वाली साग-भाजी जैसे गाजर, चकुंदर, शकरकंद एव अन्य सब्जिया जैसे बंद गोभी, ब्रोकोली, कद्दू, शिमला मिर्च, बीन्स, खीरा, प्याज, लहसुन, अदरक, मशरूम, सभी तरह के ताजे फल, फलियां, छाछ, नारियल, खजूर, मीठा खाने का सोडा, अंकुरित अनाज, भीगे हुए मेवे, अंजीर, संतरा,आदि क्षारीय आहार है।

आमतौर पर खट्टे स्वाद को लेकर आँवला ,नींबू व मौसम्बी को अम्लीय प्रकृति का माना जाता है लेकिन यह दोनों ही क्षारीय तासीर के आहार है और नींबू तो सबसे अधिक क्षारीय होता है।

नींबू
सबसे अधिक क्षारीय खाद्य पदार्थ नींबू है जिसकी थोड़ी सी मात्रा ही भोजन का जायका बढ़ा देती है। ये कीटाणुनाशक होता है और लीवर के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।

आंवला
आयुर्वेद में आंवले को कई गुणों के कारण जाना जाता है। पाचन को दुरुस्त करने के साथ ही यह खांसी में भी राहत देता है। खट्टा होने के बाबजूद भी आंवला क्षारीय प्रकृति का फल है, ये पेट के रसायनों के स्तर को संतुलित रखता है। आंतों को भी स्वस्थ रखता है।

आंवले का सेवन शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाता है। सफेद रक्त कोशिकाएं ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जिम्मेदार होती हैं।

कंद मूल
मूली, गाजर, चुकंदर और शलजम जैसी जमीन के नीचे उगने वाली पौष्टिक सब्जियों का सेवन करके शरीर के क्षारीय स्तर को सन्तुलित रखा जा सकता है।

गोभी, ब्रोकली
गोभी, ब्रोकली और बंद गोभी जैसी सब्जियां स्वादिष्ट और पौष्टिक होने के साथ ph मान को संतुलित रखने वाली भी होती है।

हरी पत्तेदार सब्जियां
हरी पत्तेदार सब्जियों में क्षारीय गुण ज्यादा पाए जाते हैं और पालक जैसी पत्तेदार सब्जियां पाचन को बेहतर बनाती हैं। साथ ही वजन कम करने में भी सहायक हो सकती है क्योंकि इसे खाने से पेट जल्दी भरने का अहसास होता है।

शिमला मिर्च
एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर शिमला मिर्च शरीर में पीएच मान को सन्तुलित करने के साथ हानिकारक तत्वों से भी शरीर का बचाव करती है।

मौसंबी, नींबू, पपीता ,अजमोद व शतावरी

क्षारीय खाद्य सामग्रियों में नींबू, पपीता. शतावरी,अजमोद
इन चारों को साथ में खाने की बात आपको कुछ अजीब सी लग सकती है। जब ये साथ होते हैं तो जोरदार काम करते हैं। ये आपके गुर्दों की अच्छी तरह देखभाल करते हैं, उनको शुद्ध करते हैं और सूजन को कम करते हैं।

इस समूह में पपीता एक सबसे अच्छा लैक्जेटिव माना जाता है। यह आपके पेट को साफ करता है।
दूसरी ओर अजमोद आपके गुर्दों का पसंदीदा पौधा है।
इसके अलावा नींबू और मौसंबी कुदरत के दिए हुए दो सबसे ज्यादा क्षारीय फल हैं। इसलिए जबरदस्त क्षारीय असर वाली इन  चीजों को अपने भोजन में शामिल करें।

रिवर्स ओसमोसिस फ़िल्टर सिस्टम RO से प्राप्त जल अम्लीय होता है, और बोतलबंद पानी से भी परहेज करना चाहिए, नल के पानी को उबालकर ठंडा कर लें और इसको घड़े में डालकर पीना चाहिए। घड़े का पानी एल्कलाइन का बेहतर स्त्रोत है।

पकाने पर क्षारीय खनिज नष्ट हो जाते है इसलिए बिना पकाए अथवा भाप द्वारा कम पकाई सब्जिया में क्षारीयता अधिक होती है।

अम्लीय खाद्य पदार्थ

माँसाहारी भोजन, पका या तला-भूना भोजन, पनीर, मक्खन, चासनी की चीजें, मिठाई, चीनी, चाय, कॉफ़ी, चॉकलेट, तंबाकू, उबला दूध, वनस्पति घी, नमक, मैदा, मादक पदार्थ, सोडा, दाल, चावल, नमकीन, बेकरी की चीजें, चासनी में डूबे फल,डिब्बाबंद खाध पदार्थ , कोर्न्फ्लाकेस.ओट्स, साबुत अनाज के उत्पाद, रिफाइंड तेल ,पास्ता, ब्रेड, कोक और डेयरी उत्पाद,पिस्ता, काजू, सिंथेटिक मिठासयुक्त उत्पाद , दवाईयों का अधिक प्रयोग जैसे एस्प्रिन और एंटीबायोटिक इत्यादि अम्लीय आहार की श्रेणी में आते है।

अम्लीय खाद्य पदार्थों का ज़्यादा सेवन से शरीर में कमजोरी, जल्द बुढ़ापा, मोटापा, कब्ज, गैस, फैफड़ों में सर्दी, प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर, गठिया, जोड़ों का दर्द, सूजन, हार्ट समस्या, हड्डियों में कमजोरी जैसे कई घातक रोग की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है।

पेट में जलन,आंखों का लाल होना,अधिक गर्मी का लगना,त्वचा का रूखापन आदि अम्लता के लक्षण हैं। अतः,अम्लता प्रकट होते ही मिर्च, मसाले, शक्कर, चाय, मांस, मदिरा और अन्य मादक पदार्थों का सेवन अविलंब बंद कर देना चाहिए।

इसलिए अपने भोजन को 80% सात्विक कर दीजिए, फिर देखिए आपका शरीर हमेशा स्वस्थ्य रहेगा।

क्षारीय खाद्य पदार्थों के लाभ

क्षारीय भोजन हड्डियों के विकास के लिए ज़रूरी होता है। एवं एंटी एजिंग में भी लाभदायी है।

आर्थराइटिस और जोड़ों सम्बंधित सभी समस्याओं में क्षारीय भोजन बहुत उपयोगी है एवं  हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और स्ट्रोक से भी बचाता है।

क्षारीय भोजन  रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है एवं कैंसर , किडनी के रोगों से लड़ने में लाभदायक है।  किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन को पनपने से रोकती है।

क्षारीय भोजन हमारे वजन को संतुलित रखने में बहुत सहायक है एवं ये  विटामिन का अवशोषण आसानी से करता है एवं पोटैशियम की कमी को दूर करती है।

जैतून का तेल भी अम्लता के निदान में सहायक है। भोजन के एक घंटे पूर्व 10 मिली जैतून तेल का सेवन करने से आंतों को स्निग्धता प्राप्त होती है और पेट की अच्छी सफाई हो जाती है। जैतून का तेल हल्का, सुपाच्य, स्निग्धकारी व शरीर को शक्ति प्रदान करने वाला होता है।

अम्लता के रोगी के लिए नारियल और नारियल का पानी श्रेष्ठ आहार है। नारियल में 50 प्रतिशत तक वसा होता है जो आंतों को स्निग्धता प्रदान करता है।

अम्लता के रोगी को चावल का सेवन पर्याप्त सब्जियों के साथ करना चाहिए और एकबार में ही खाने की बजाए थोड़ा-थोड़ा कर खाना चाहिए। प्रातःकाल गुनगुने जल का सेवन करने से भी अम्लता कम होती है। ठंडे पानी का सेवन करने से अम्ल का स्त्राव अधिक होता है।

क्षारीय भोजन पूरे पाचन तंत्र को सही कर हमें स्वाथ्य बनाने में ये बेहद सहायक है।

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