मानव शरीर मे पांच तत्वों की महत्ता
मानव शरीर मे पांच तत्वों की महत्ता
पिछले 3 दशकों के इतिहास पर ध्यान दे तो मनुष्य ने विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में शानदार तरक्की की है । जैसे जैसे मानव आधुनिक होता जा रहा है वैसे वैसे वह अपनी जड़ों को भुलाता जा रहा है । मानव धीरे धीरे प्रकृति से दूर होता जा रहा है मानव शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है और जिन पंचतत्वों से मिलकर मानव शरीर बना है , वे है :
1.क्षिति
2.जल
3.पावक
4.गगन
5.समीरा
1. क्षिति :
क्षिति अर्थात धरती (पृथिवी) हमारे पंचतत्वों में से सबसे महत्वपूर्ण तत्व है और आज के आधुनिक समय की भाग दौड़ में हम मिट्टी से अलग होकर इस तत्व को क्षीण कर रहे है ।
और पृथिवी के स्पर्श में रहने के कारणवश शरीर मे संरचना संबंधित समस्याए उत्पन्न हो जाती है ।
इस तत्व को शरीर बनाये रखने के लिए मिट्टी के स्पर्श में बने रहे ।
2. जल :
जैसा कि हम सभी जानते है कि मानव शरीर लगभग 70% जल से निर्मित है और जल हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है जल तत्व हमारे पाचन तंत्र के लिए सबसे आवश्यक होता है क्योंकि जल की समुचित मात्रा ही भोजन की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को सम्भव कर पाता है । और जल तत्व की कमी से अपच और कब्ज़ जैसी पाचन तंत्र से संबंधित रोग हो जाते है ।
प्रतिदिन समुचित मात्रा में जल को ग्रहण अवश्य करे ।
3. पावक :
अग्नि तीसरा तत्व है अग्नि का गुण होता है पकाना या परिपक्व करना ।
अग्नि के ही कारण शरीर में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन होते
है ।
जठराग्नि एक प्रकार की अग्नि ही है जिसके द्वारा हमारा भोजन पचता है और शरीर को विभिन्न पोषक तत्व प्राप्त होते है ।
4. गगन :
गगन या आकाश का अर्थ मानव शरीर मे रिक्तता से होता है । मानव शरीर मे रिक्तता का बहुत अधिक महत्व होता है क्योंकि मानव शरीर मे विभिन्न गतिविधियों के लिए आकाश तत्व ही जिम्मेदार होता है ।
समुचित व्यायाम या योगभ्यास से शरीर मे आकाश तत्व की पूर्ति होती रहती है ।
5.वायु :
वायु तत्व ही मनुष्य में चेतना को बनाये रखता है ।
योग में प्राण सबसे महत्वपूर्ण होते है एवं योग के अभ्यास के माध्यम से हम प्राणवायु का प्रसार करते है ।
प्राणयाम के उचित अभ्यास से आप वायु तत्व को नियंत्रित कर सकते है ।
पंचतत्व हमारे शरीर का आधार होते है और हमे इनकी उपस्थिति को शरीर मे समुचित रूप से बनाये रखना चाहिए ।
क्योंकि आज के आधुनिक समय मे हम प्रकृति(पंचतत्वों) की आवश्यकता को भूलते जा रहे है ।
अपने जीवन को स्वस्थ और समृद्ध बनाये रखने प्रकृति के स्पर्श में रहना अति आवश्यक है ।
और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यदि हम इन पंचतत्वों को दूषित करेंगे तो हमारा शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ्य नही रह पाएगा क्योंकि प्रकृति के ये पंचतत्व ही हमारे शरीर का आधार है :
1.क्षिति(पृथ्वी)
2.जल(पानी)
3.पावक(आग)
4.गगन(आकाश)
5.समीरा(वायु)
पिछले 3 दशकों के इतिहास पर ध्यान दे तो मनुष्य ने विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में शानदार तरक्की की है । जैसे जैसे मानव आधुनिक होता जा रहा है वैसे वैसे वह अपनी जड़ों को भुलाता जा रहा है । मानव धीरे धीरे प्रकृति से दूर होता जा रहा है मानव शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है और जिन पंचतत्वों से मिलकर मानव शरीर बना है , वे है :
1.क्षिति
2.जल
3.पावक
4.गगन
5.समीरा
1. क्षिति :
क्षिति अर्थात धरती (पृथिवी) हमारे पंचतत्वों में से सबसे महत्वपूर्ण तत्व है और आज के आधुनिक समय की भाग दौड़ में हम मिट्टी से अलग होकर इस तत्व को क्षीण कर रहे है ।
और पृथिवी के स्पर्श में रहने के कारणवश शरीर मे संरचना संबंधित समस्याए उत्पन्न हो जाती है ।
इस तत्व को शरीर बनाये रखने के लिए मिट्टी के स्पर्श में बने रहे ।
2. जल :
जैसा कि हम सभी जानते है कि मानव शरीर लगभग 70% जल से निर्मित है और जल हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है जल तत्व हमारे पाचन तंत्र के लिए सबसे आवश्यक होता है क्योंकि जल की समुचित मात्रा ही भोजन की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को सम्भव कर पाता है । और जल तत्व की कमी से अपच और कब्ज़ जैसी पाचन तंत्र से संबंधित रोग हो जाते है ।
प्रतिदिन समुचित मात्रा में जल को ग्रहण अवश्य करे ।
3. पावक :
अग्नि तीसरा तत्व है अग्नि का गुण होता है पकाना या परिपक्व करना ।
अग्नि के ही कारण शरीर में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन होते
है ।
जठराग्नि एक प्रकार की अग्नि ही है जिसके द्वारा हमारा भोजन पचता है और शरीर को विभिन्न पोषक तत्व प्राप्त होते है ।
4. गगन :
गगन या आकाश का अर्थ मानव शरीर मे रिक्तता से होता है । मानव शरीर मे रिक्तता का बहुत अधिक महत्व होता है क्योंकि मानव शरीर मे विभिन्न गतिविधियों के लिए आकाश तत्व ही जिम्मेदार होता है ।
समुचित व्यायाम या योगभ्यास से शरीर मे आकाश तत्व की पूर्ति होती रहती है ।
5.वायु :
वायु तत्व ही मनुष्य में चेतना को बनाये रखता है ।
योग में प्राण सबसे महत्वपूर्ण होते है एवं योग के अभ्यास के माध्यम से हम प्राणवायु का प्रसार करते है ।
प्राणयाम के उचित अभ्यास से आप वायु तत्व को नियंत्रित कर सकते है ।
पंचतत्व हमारे शरीर का आधार होते है और हमे इनकी उपस्थिति को शरीर मे समुचित रूप से बनाये रखना चाहिए ।
क्योंकि आज के आधुनिक समय मे हम प्रकृति(पंचतत्वों) की आवश्यकता को भूलते जा रहे है ।
अपने जीवन को स्वस्थ और समृद्ध बनाये रखने प्रकृति के स्पर्श में रहना अति आवश्यक है ।
और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यदि हम इन पंचतत्वों को दूषित करेंगे तो हमारा शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ्य नही रह पाएगा क्योंकि प्रकृति के ये पंचतत्व ही हमारे शरीर का आधार है :
1.क्षिति(पृथ्वी)
2.जल(पानी)
3.पावक(आग)
4.गगन(आकाश)
5.समीरा(वायु)
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