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Showing posts from February, 2020

अम्लीय और क्षारीय खाद्य पदार्थ एवं हमारा स्वस्थ्य

अम्लीय और क्षारीय खाद्य पदार्थ एवं हमारा स्वस्थ्य प्राकृतिक आहार लेने वालों को अम्ल या क्षार की समस्या नहीं रहती यह तो केवल पके या तले-भुने भोजन लेने वालों में होती है। शरीर का प्राकृतिक स्वाभाव क्षारीय  है लेकिन हमारी बदली जीवन शैली , बढ़ता प्रदूषण, रसायनों का सेवन व भागदौड़ व मानसिक तनाव से शरीर में अम्लता की मात्रा बढ़ती जा रही है। अम्लतायुक्त भोजन शरीर के लिए घातक है तो वही दूसरी ओर क्षारीय भोजन हितकर है। मानव शरीर में 80% क्षारीय और 20% अम्लीय तत्व होते है। अगर यह संतुलन बना रहे तो आप हमेशा स्वास्थ्य रहेगे, लेकिन सन्तुलन होने पर शरीर तमाम रोगों से ग्रस्ति हो जाएगा। शरीर में क्षारीय और अम्लीय तत्वों की केमिस्ट्री का संतुलन बनाये रखने के लिए PH की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिनका खाद्य पदार्थो PH मान 7 से कम होता है वो अम्लीय और PH मान 7 से ज्यादा होता है तो  क्षारीय होते है। सामान्यत: मानव रक्त की PH 7.35 से  7.45 के बीच में होती है। क्षारीय भोजन रक्त के PH को सन्तुलित कर कैंसर जैसे तमाम गम्भीर रोगों से बचाव एव इलाज में सहायक होते है । बिगड़ी जीवन शैली और खानप...

सात्विक भोजन

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                  सात्विक भोजन जैसा अन्न वैसा मन।  हम जो कुछ भी खाते है वैसा ही हमारा मन बन जाता है। अन्न चरित्र निर्माण करता है। इसलिए हम क्या खा रहे है। इस बात का सदा ध्यान रखना चाहिए। प्रकृति से हम जो कुछ भी ग्रहण करते है जैसे भोज्य पदार्थ, पेय पदार्थ, वायु, पांच ज्ञानेन्द्रियों से जो कुछ भी हमारा मन प्राप्त करता है, कर्म इन्द्रियों से हम जो कुछ भी प्राप्त करते है और मन में संगृहीत सूचनाओं के मनन से जैसा भाव मन में उठता है। इन सब से हमारे अन्दर का समीकरण बदलता है और गुण समीकरण में आया परिवर्तन ही हमारे वर्तमान को चलाता है। जैसा गुण समीकरण अन्दर होगा, वैसे विचार मन-बुद्धि में उठेंगे। जैसे विचार उठते है वैसे ही कर्म करते है, जैसे हम कर्म करते है वैसा ही फल हमें मिलता है। भोजन के स्वाद 1. मधुर स्वाद :  मधुर स्वाद वाले खाद्य पदार्थ सर्वाधिक पुष्टिकर माने जाते है। वे शरीर में उन महत्वपूर्ण विटामीनों एवं खनिज लवणों को ग्रहण करते है, जिसका प्रयोग शर्करा को पचाने के लिए किया जाता है। इस श्रेणी में आने वाले खाद्य ...

मानव शरीर मे पांच तत्वों की महत्ता

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  मानव शरीर मे पांच तत्वों की महत्ता पिछले 3 दशकों के इतिहास पर ध्यान दे तो मनुष्य ने विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में शानदार तरक्की की है । जैसे जैसे मानव आधुनिक होता जा रहा है वैसे वैसे वह अपनी जड़ों को भुलाता जा रहा है । मानव धीरे धीरे प्रकृति से दूर होता जा रहा है मानव शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है और जिन पंचतत्वों से मिलकर मानव शरीर बना है , वे है : 1.क्षिति 2.जल 3.पावक 4.गगन 5.समीरा 1. क्षिति : क्षिति अर्थात धरती (पृथिवी) हमारे पंचतत्वों में से सबसे महत्वपूर्ण तत्व है और आज के आधुनिक समय की भाग दौड़ में हम मिट्टी से अलग होकर इस तत्व को क्षीण कर रहे है । और पृथिवी के स्पर्श में रहने के कारणवश शरीर मे संरचना संबंधित समस्याए उत्पन्न हो जाती है । इस तत्व को शरीर बनाये रखने के लिए मिट्टी के स्पर्श में बने रहे । 2. जल : जैसा कि हम सभी जानते है कि मानव शरीर लगभग 70% जल से निर्मित है और जल हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है जल तत्व हमारे पाचन तंत्र के लिए सबसे आवश्यक होता है क्योंकि जल की समुचित मात्रा ही भोजन की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को सम्भव कर पाता है । ...

Importance of five elements in human body

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Importance of five elements in human body From past 3 decades human developed in spectacular way in terms of technology and science. As human is becoming modern he forgets his roots. We just running away from nature. The five element from which the human body is made 1.Earth 2.Water 3.Air 4.Either 5.Fire We are forgetting these five basic needs of our body 1. EARTH :                      The earth is one of primary essence  of human body and we are removing this essence from our body by running away from mud & soil. We are being hygienic in terms of our lifestyle in the inference of that we are avoid to being in touch of earth. 2. WATER :                       You know our body is made of 70% of water so the need of water in our body is most essential element of our body . Water is most essential for digestion system because wat...

आसन और योग के संदर्भ में जन सामान्य में फैली भ्रांतियां

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आसन और योग के संदर्भ में जन सामान्य में फैली भ्रांतियां आज के वर्तमान समय में जब हम जन सामान्य में योग के संदर्भ में चर्चा करते हैं तो जनसामान्य का सामान्य मनुष्य आसन को ही योग समझता है इसका कारण यह है कि यदि हम पिछले 5 दशकों के  इतिहास के संदर्भ में चर्चा करें तो आसन को ही सर्वाधिक जन सामान्य के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।        सामान्यजन के अनुसार       आसन का अभ्यास ही योग है ।  आसन मुख्य रूप से एक शारीरिक अभ्यास है जबकि योग आसन से 10 गुना वृहद  अभ्यास है। वास्तव में आसन योग का एक हिस्सा मात्र है ।  यदि हम पातंजल योग सूत्र के अनुसार अष्टांग योग के संदर्भ में चर्चा करें तो महर्षि पतंजलि के अनुसार योग के आठ अंगों को माना गया है  1.यम  2.नियम  3.आसन  4.प्राणायाम  5.प्रत्याहार  6.धारणा 7.ध्यान  8.समाधि  इस प्रकार महर्षि पतंजलि के अनुसार आसन योग का एक अंग मात्र है  हठयोग के अनुसार आसन एक महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि ह...

Misconceptions about Asana and Yoga in common man's mind

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Misconceptions about Asana and Yoga in common man's mind  In  present time when we talk about yoga the common man only think about Asana because in  last 5 decade , Asana is the most commonly used and  showed to the world. Common people think that Practice of Asana is yoga But we need to understand that Asana and yoga these are two different things. Asana is a physical practice and yoga is a 10 times bigger then Asana so we have to understand that Asana is just a a small part of yogic practice.  If we discuss about the Ashtang yoga Defined by sage Patanjali there are eight Limbs which are defined in Yoga Sutra: There are 8 parts of yoga according to Patanjal Yoga Sutra: 1.Yama     2.Niyama   3. Asana             4. Pranayama           5.pratyahara     6.dharana  7.Dhyan       8.Samadhi.  So in  Patanjal Yoga Sutra Asan...